हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, वे इस दिन राधाकुंड में डुबकी लगाते हैं और श्री कृष्ण की पत्नी राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
मथुरा के राधाकुंड में अहोई अष्टमी के अवसर पर स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, वे इस दिन राधाकुंड में डुबकी लगाते हैं और श्री कृष्ण की पत्नी राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. उत्तर भारतीय पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर हर साल हज़ारों श्रद्धालु गोवर्धन पहुंचते हैं
राधाकुंड में मध्यरात्रि में लगाई आस्था की डुबकी
अहोई अष्टमी पर मध्यरात्रि का समय, जिसे निशिता काल कहते हैं, इस पवित्र स्नान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस समय श्रद्धालु राधाकुंड में डुबकी लगाकर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं. दंपत्ति विशेष तौर पर कुष्मांडा (सफेद कद्दू) और लाल वस्त्र अर्पित करते हुए प्रार्थना करते हैं. इस अवसर पर महिलाएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं. शाम को तारों को अर्घ्य देकर और अहोई माता की पूजा करके वे अपना व्रत पूर्ण करती हैं.
संतान प्राप्ति की आस में राधाकुंड पहुंचे श्रद्धालु
मेरठ से आई शिवानी यादव और नजफगढ़ से आई प्रिया ने बताया कि वे संतान प्राप्ति की कामना से राधाकुंड स्नान करने आई हैं. प्रिया ने कहा, “तीन साल शादी को हो गए हैं, लेकिन संतान प्राप्ति नहीं हुई है. पति के एक दोस्त ने यहां आने की सलाह दी थी.” शिवानी यादव ने भी कहा, “नौ साल से संतान प्राप्ति की कामना अधूरी है, इसलिए हमने राधाकुंड में आस्था की डुबकी लगाने का संकल्प लिया है.”
इस अवसर पर राधाकुंड में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने मां राधा रानी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की