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भाई बहन का त्योहार सिर्फ रक्षाबंधन और भाईदूज के अलावा भी होता है तो जानिए वो कौनसा त्योहार है

  • धर्म-कर्म

भाई बहन को समर्पित एक ऐसा त्योहार जो मुख्य तौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मनाया जाता है. कौन सा है ये पर्व और क्या बात इसे बनाती है खास आइए जानते हैं?

 
हममे से बहुत लोगों को बस यही पता है कि रक्षाबंधन और भाई दूज दो ही ऐसे त्योहार हैं जो भाई बहन के लिए समर्पित है. लेकिन अब जो हम आपको बताने जा रहें हैं उसे जानकर आप थोड़ा आश्चर्य में पड़ सकते हैं. दरअसल भाई बहन को समर्पित एक त्योहार और है. जिसका नाम सामा चकेवा है. जानते हैं इसके बारे में-
 
बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाको में जैसे ही छठ पर्व की समाप्ति होती है, ठीक उसी दिन से ही सामा चकेवा का पर्व शुरू हो जाता है. इस पर्व में महिलाएं सामा चकेवा और चुगला चुगली के गीत गाते हैं. बिहार की सुप्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा ने सामा चकेवा को लेकर कई तरह के गीत गाए हैं. इस पर्व को मानने वाली महिलाएं मिट्टी की प्रतिमा बनाती है. जिसमें सामा चकेवा, चुगला, सतभैया, वृंदावन और पक्षियों की प्रतिमा शामिल है. ये पर्व भाई बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता है.
 
 
सामा चकेवा का शुक्रवार 8 नवंबर को शुरू होकर शुक्रवार 15 नवंबर 2024 को ख्त्म होगा. बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को महिलाएं सामा चकेवा बनाती है. 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री सामा के संबंध को लेकर किसी चुगले न गलत आरोप लगा दिए थे. जिस वजह से श्रीकृष्ण ने गुस्से में आकर सामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया. बहुत दिनों तक सामा श्राप के कारण पक्षी बनी रही. लेकिन सामा का भाई चकेवा ने अपने प्यार और त्याग के बल पर सामा को वापस मनुष्य रूप दिलवाया. बहन को श्राप से मुक्त करने के साथ ही चकेवा ने चुगले को प्रातड़ित भी करवाया. उसी कथा का मार्गदर्शन करते हुए भाई बहन के रिश्ते को साल में छठ के आठ दिन बाद सामा चकेवा के पर्व के रूप में मनाया जाता है.
 
इस पर्व की परंपरा काफी अलग है. इसमें चुगले की प्रतिमा को लंबी चोटी के साथ बनाया जाता है. चुगले की चोटी में आग लगाकर उसे जूते से पीटने की परंपरा है. परंपरा के मुताबिक इस दिन बहने भाईयों को दही चूड़ा खिलाती है. लेकिन ये त्योहार मुख्य तौर से बिहार और उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है. 

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