ट्रंप की जीत के बाद बिटकॉइन की ऐतिहासिक बढ़त
- बिजनेस
**नई दिल्ली, 14 नवंबर** - अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद, बिटकॉइन ने एक नया इतिहास रच दिया है। गुरुवार को इसकी कीमत $93,000 के पार पहुंच गई, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। सिर्फ बिटकॉइन ही नहीं, बल्कि डॉजकॉइन में भी 20% से ज्यादा का उछाल देखा गया। ट्रंप की जीत के बाद से अब तक डॉजकॉइन में 150% का इजाफा हुआ है, जबकि बिटकॉइन 30% तक बढ़ा है।
ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में वादा किया था कि वह अमेरिका को ग्लोबल डिजिटल एसेट हब बनाएंगे और एक नेशनल बिटकॉइन रिजर्व तैयार करेंगे। उनका क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सकारात्मक रुख ही बिटकॉइन की कीमतों में उछाल का मुख्य कारण माना जा रहा है। ट्रंप ने अपने कार्यकाल में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और डिजिटल करेंसी के महत्व पर जोर दिया था। उनका समर्थन न केवल अमेरिका में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी क्रिप्टो बाजार को मजबूत कर रहा है।
निवेशक इस बात पर नजर गड़ाए हुए हैं कि क्या बिटकॉइन $100,000 का स्तर पार कर पाएगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बाजार में स्थिरता और निवेशकों का निरंतर विश्वास जरूरी है। अगर ट्रंप और अन्य वैश्विक नेता क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सकारात्मक रुख बनाए रखते हैं, तो बिटकॉइन को यह लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिल सकती है।
13 नवंबर 2024 तक, CoinMarketCap के डेटा के मुताबिक, ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैपिटलाइजेशन $2.94 ट्रिलियन तक पहुंच गया है, जो पिछले दिन के मुकाबले 0.57% की बढ़त दिखाता है। इसके साथ ही कुल क्रिप्टो मार्केट वॉल्यूम (24 घंटे) $349.04 बिलियन तक पहुंच चुका है, जो 31.22% की बढ़ोतरी को दर्शाता है। वहीं, DeFi (डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस) का वॉल्यूम $17.33 बिलियन है, जो कुल क्रिप्टो मार्केट का 4.97% है।
पिछले महीने की बात करें तो, बिटकॉइन (BTC) में 40.24% की बढ़त आई है, जबकि एथेरियम (Ethereum) ने 32.70% की बढ़त दर्ज की है, स्टेबलकॉइन्स में 3.06% का इजाफा हुआ है, जबकि अन्य टोकन्स ने 32.35% की बढ़ोतरी की है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि क्रिप्टो मार्केट में निवेशकों का उत्साह काफी बढ़ा हुआ है।
चुनाव में जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए टेक अरबपति एलन मस्क को अपनी आने वाली सरकार में एक नई जगह दी है। इससे निवेशकों का बिटकॉइन और अन्य डिजिटल एसेट्स में भरोसा और बढ़ गया है।
ट्रंप ने सरकारी कामकाज को और बेहतर बनाने के लिए एक नया विभाग बनाया है, जिसका नाम है ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ (DOGE)। इस विभाग की कमान एलन मस्क को सौंपी गई है। मजेदार बात ये है कि इस नए विभाग का संक्षिप्त नाम DOGE है, जो एलन मस्क की पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी डॉजकॉइन की याद दिलाता है। इस प्रोजेक्ट में मस्क के साथ रिपब्लिकन नेता विवेक रामास्वामी भी काम करेंगे।
### क्या भारत का क्रिप्टो बाजार फिर से गति पकड़ पाएगा?
ट्रंप की क्रिप्टो-फ्रेंडली सोच और मस्क की सलाहकार भूमिका के बाद भारत के क्रिप्टो इन्वेस्टर्स के लिए यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। हालांकि, भारत का क्रिप्टो इकोसिस्टम पिछले कुछ समय से सुस्त पड़ा हुआ था। यहां के निवेशकों का उत्साह अमेरिकी निवेशकों जितना नहीं है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर ज्यादा टैक्स और बैंकिंग सेक्टर का क्रिप्टो के प्रति सकारात्मक नजरिया न होना।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के नियम भी काफी जटिल और लगातार बदल रहे हैं। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी को खरीदना और रखना कानूनी है लेकिन इन्हें कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और सेबी क्रिप्टो गतिविधियों की निगरानी करने वाले प्रमुख निकाय हैं। यूनियन बजट 2022 के तहत, क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाली आय पर 30% की फ्लैट दर से टैक्स लगता है। इसके साथ ही, सालाना 50,000 रुपये से अधिक के लेन-देन पर 1% का TDS भी काटा जाता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही कई समस्याएं भी हैं, जैसे धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर सुरक्षा के मुद्दे। ऐसे में भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी और रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 को पेश किया है। इसका मकसद प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाते हुए आरबीआई की ओर से जारी की जाने वाली सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) जारी करना है। हालांकि, ये बिल अभी पारित नहीं हुआ है जिससे कई नियामकीय पहलू अनसुलझे हुए हैं।
क्रिप्टोकरेंसी में हालिया तेजी के कारण एक बड़ी फाइनेंशियल फर्म बर्नस्टीन ने एक रिपोर्ट में सवाल उठाया है कि क्या भारत बिटकॉइन को नजरअंदाज कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक गलत धारणा बन गई है। लोग सोचते हैं कि सरकार सिर्फ सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को ही मान्यता देगी और बाकी सभी क्रिप्टोकरेंसी को निजी मुद्रा मानकर प्रतिबंधित कर देगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सोच गलत है। भारत ने डिजिटल पेमेंट के मामले में दुनिया भर में एक मिसाल कायम की है। ऐसे में CBDC लाना एक सही कदम हो सकता है। लेकिन साथ ही बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को नज़रअंदाज करना गलत होगा।
बिटकॉइन को सरकारें अपने लिए एक तरह का डिजिटल सोना बना सकती हैं। भारत ने हाल ही में यूके से 100 टन सोना वापस लाया है। इससे भारत ने सोने को सुरक्षित रखने के जोखिम को कम किया है। उसी तरह, बिटकॉइन एक डिजिटल सोना हो सकता है। इसे रखने पर किसी देश के हस्तक्षेप का खतरा नहीं रहता। आज की दुनिया में जहां अंतरराष्ट्रीय संबंध नाजुक हैं और डॉलर के कीमत पर संकट है, ऐसे में बिटकॉइन एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है।