भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आखिरकार नया डिप्टी गवर्नर मिल गया है। सरकार ने पूनम गुप्ता को तीन साल के लिए आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने मंजूरी दी है। पूनम गुप्ता इससे पहले नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की महानिदेशक थीं।
डिप्टी गवर्नर का पद खाली था
जनवरी 2024 में माइकल देबव्रत पात्रा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद आरबीआई का एक डिप्टी गवर्नर पद खाली था। अब सरकार ने इस अहम पद के लिए पूनम गुप्ता को चुना, जो एक जानी-मानी अर्थशास्त्री हैं और कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ी रही हैं।
कौन हैं पूनम गुप्ता?
- पूनम गुप्ता प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य हैं।
- 16वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद की संयोजक भी हैं।
- उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड (अमेरिका) में पढ़ाया है।
- उन्होंने वाशिंगटन डीसी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक में दो दशक तक काम किया।
- 2021 में वे NCAER से जुड़ीं और वहां की महानिदेशक बनीं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) में होंगी अहम सदस्य
आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) में अब पूनम गुप्ता भी शामिल होंगी। यह समिति रेपो रेट और अन्य मौद्रिक नीतियों से जुड़े अहम फैसले लेती है।
शैक्षिक योग्यता और उपलब्धियां
- पूनम गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
- अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है।
- 1998 में एक्सिम बैंक पुरस्कार जीतकर अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र में अपनी पीएचडी पूरी की।
- वे राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP) में आरबीआई चेयर प्रोफेसर और ICRIER में प्रोफेसर भी रह चुकी हैं।
अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सेक्टर के लिए क्या होगा असर?
- पूनम गुप्ता के आने से मौद्रिक नीति और आर्थिक नीतियों को मजबूती मिलेगी।
- उनके पास अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग और वित्तीय नीतियों का गहरा अनुभव है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
- RBI की आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।