Vulture Conservation Mission: केरवा गिद्ध प्रजनन केन्द्र से 6 गिद्ध हुए Natural Habitat में Release, GPS Tracking से होगी 24×7 Monitoring
भोपाल के नजदीक स्थित Kerwa Vulture Breeding Centre से पहली बार 6 दुर्लभ गिद्धों को natural habitat में release किया गया है। यह कदम मध्य प्रदेश में vulture conservation mission की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक प्रयास माना जा रहा है। इन सभी गिद्धों को अत्याधुनिक GPS trackers से लैस किया गया है, जिससे उनके मूवमेंट, व्यवहार और सुरक्षा की real-time monitoring की जा सकेगी।
गिद्ध केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक natural scavengers हैं। ये मृत जीवों को खाकर वातावरण को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे zoonotic diseases के फैलने का खतरा भी कम होता है। उनके बिना पर्यावरणीय संतुलन गड़बड़ा सकता है, इसलिए उनका संरक्षण हमारी biodiversity security के लिए अनिवार्य है।
गौरतलब है कि गत कुछ वर्षों में भारत में गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण रहा एक पशु-औषधि Diclofenac, जो गिद्धों के लिए ज़हर साबित हुई। इसके बाद भारत सरकार और राज्य सरकारों ने इस दवा पर प्रतिबंध लगाते हुए vulture protection programmes पर विशेष ध्यान देना शुरू किया।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा केरवा स्थित इस गिद्ध प्रजनन केंद्र की स्थापना Indian Vulture Conservation Action Plan के अंतर्गत की गई थी। यहां वैज्ञानिक तरीके से गिद्धों को संरक्षित कर उनकी संख्या बढ़ाने का कार्य चल रहा है। अब जब 6 स्वस्थ गिद्धों को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया है, तो यह संकेत है कि संरक्षण के प्रयास अब परिणाम देने लगे हैं।
इस अभियान की विशेषता यह है कि इन गिद्धों की गतिविधियों को satellite-based tracking system के जरिए लगातार ट्रैक किया जाएगा। इससे न सिर्फ इनके जीवन के बारे में नए वैज्ञानिक तथ्य मिलेंगे, बल्कि अगर किसी भी प्रकार की खतरे की स्थिति उत्पन्न होती है, तो तुरंत सहायता पहुंचाई जा सकेगी।
Desh Harpal इस पहल का स्वागत करता है और सरकार, वन विभाग, वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों और सभी सहयोगियों को इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहने के लिए साधुवाद देता है। ऐसे कदम न केवल गिद्धों की वापसी का रास्ता खोलते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि यदि इच्छाशक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण साथ हो, तो wildlife conservation सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि सच्चाई बन सकता है।
भोपाल स्थित केरवा गिद्ध प्रजनन केन्द्र से 6 गिद्धों को कल पहली बार प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया