क्या बंगाल में फिर से सियासी तूफान लाने की तैयारी में है बीजेपी? 2026 के विधानसभा चुनाव को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत की सक्रियता कुछ बड़ा संकेत दे रही है। सूत्रों की मानें तो संघ ने बंगाल में हिंदू वोट बैंक को जोड़ने के लिए एक ठोस रणनीति बना ली है। टारगेट है सिर्फ 4% अतिरिक्त वोट… जो गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।
क्यों खास है ये 4%?
बीजेपी को साल 2021 में लगभग 38% वोट मिले थे, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 47.9% वोटों के साथ सत्ता कायम रखी। विश्लेषकों की मानें तो अगर बीजेपी को 2026 में 42% से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो वो सीधे सरकार बनाने की दौड़ में आ सकती है। और यही 4% वोट अब बीजेपी और संघ का फोकस बन गए हैं।
भागवत ने तय की दिशा
मोहन भागवत का बंगाल दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं थी। उन्होंने संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं और बीजेपी के रणनीतिकारों से लंबी बैठकें कीं। बैठक में साफ कहा गया कि बंगाल में ‘हिंदू पहचान’ को केंद्र में लाकर जनमानस को जोड़ा जाएगा।
क्या बदलेगा मुद्दों का रुख?
जहां TMC ममता बनर्जी के विकास मॉडल और बंगाली अस्मिता की बात करती है, वहीं बीजेपी अब मंदिर, गोरक्षा, लव जिहाद और बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दों को फिर से धार दे सकती है। संघ का मानना है कि बंगाल में हिंदू समाज के कई वर्ग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इन्हीं भावनाओं को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा।
ग्राउंड लेवल पर तैयारी शुरू
संघ की शाखाएं गांव-गांव में तेज़ी से फैल रही हैं। युवाओं को जोड़ने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, धर्म-सभाएं और सेवा कार्यों पर ज़ोर है। बीजेपी भी बूथ लेवल मैनेजमेंट को मज़बूत कर रही है।
ममता के लिए खतरे की घंटी?
अगर बीजेपी अपना 4% टारगेट पूरा कर लेती है, तो ममता बनर्जी की सत्ता को सीधी चुनौती मिल सकती है। मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण TMC के पक्ष में पहले से है, लेकिन अगर हिंदू वोट एकजुट हो गया, तो तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।