भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का असर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के व्यापारिक रिश्तों पर भी दिखने लगा है। तुर्की (Turkey) और अज़रबैजान (Azerbaijan) जैसे देश खुलकर पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं, जिससे भारत में इनके खिलाफ विरोध और व्यापारिक बहिष्कार की मांग तेज हो गई है।
🇹🇷 तुर्की (Turkey) के पाकिस्तान प्रेम से भारत में नाराज़गी बढ़ी
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन ने हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत से बातचीत की अपील की। यह बयान भारत को नागवार गुज़रा और देश भर में तुर्की विरोधी माहौल बन गया।
- उदयपुर और पुणे जैसे शहरों में व्यापारियों ने तुर्की से आने वाले उत्पादों, खासकर संगमरमर (marble) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
- तुर्की एयरलाइंस (Turkish Airlines) के बहिष्कार की अपील भी ज़ोर पकड़ रही है।
- सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है।
यह घटनाएं दिखाती हैं कि अब भारत केवल कूटनीति तक सीमित नहीं रहकर आर्थिक मोर्चे पर भी जवाब देने की नीति अपना रहा है।
🇦🇿 अज़रबैजान (Azerbaijan) की पाकिस्तान से बढ़ती नज़दीकी भारत को महंगी पड़ सकती है
अज़रबैजान ने हाल ही में पाकिस्तान में $2 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है। यह निवेश ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और खनन क्षेत्रों में होगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग भी तेज़ी से बढ़ रहा है।
- भारत, जो अज़रबैजान के दुश्मन आर्मेनिया (Armenia) को हथियार भेज रहा है, अब अज़रबैजान की नाराज़गी झेल सकता है।
- वर्ष 2023 में भारत और अज़रबैजान के बीच $1 अरब से अधिक का व्यापार हुआ था, जो अब खतरे में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अज़रबैजान भारत से व्यापारिक दूरी बना सकता है।
भारत की रणनीतिक चाल: ईरान और आर्मेनिया के साथ नया व्यापार मार्ग
भारत अब ईरान (Iran) और आर्मेनिया के साथ मिलकर एक नया व्यापार कॉरिडोर विकसित करने में जुटा है:
- यह Persian Gulf-Black Sea Corridor भारत को ईरान होते हुए आर्मेनिया, रूस और यूरोप से जोड़ेगा।
- इससे भारत की निर्भरता पाकिस्तान या तुर्की जैसे देशों के रास्तों पर कम होगी।
- यह नई रणनीति पाकिस्तान-अज़रबैजान-तुर्की त्रिकोण का प्रभाव संतुलित करने का प्रयास है।
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