Pakistan Occupied Kashmir (PoK) का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा से विवाद का विषय रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या PoK को बिना युद्ध वापस हासिल किया जा सकता है? हाल ही में पाकिस्तान द्वारा राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारतीय सेना ने कड़ा जवाब दिया। भारत के इस निर्णायक रुख ने एक बार फिर PoK पर नियंत्रण को लेकर बहस को हवा दे दी है।
Pakistan Occupied Kashmir (PoK) का ऐतिहासिक और भौगोलिक परिप्रेक्ष्य
PoK मुख्यतः दो हिस्सों में बंटा है: गिलगिट-बाल्टिस्तान (64,817 किमी²) और तथाकथित ‘आज़ाद कश्मीर’ (13,297 किमी²)। जब भारत आजाद हुआ था, उस समय जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान के आक्रमण से बचने के लिए भारत से मदद मांगी थी। इसके तहत 26 अक्टूबर 1947 को Instrument of Accession पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया। हालांकि, पाकिस्तान ने इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया, जिसे आज PoK के नाम से जाना जाता है।
PoK पर भारत का कानूनी दावा
संविधानिक दृष्टिकोण से जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है। भारत का तर्क है कि महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित विलय पत्र (Instrument of Accession) के अनुसार PoK भी भारत का अंग है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट किया था कि गिलगिट-बाल्टिस्तान समेत पूरा PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है।
अंतरराष्ट्रीय पेच और कूटनीतिक चुनौतियाँ
भारत के लिए PoK को सीधा वापस लेना कूटनीतिक दृष्टि से आसान नहीं है। यह एक अंतरराष्ट्रीय विवाद का रूप ले चुका है। संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव यह कहता है कि जब तक पाकिस्तान अपनी सेना को कश्मीर से नहीं हटाता, तब तक जनमत संग्रह की कोई संभावना नहीं है। पाकिस्तान ने न सिर्फ अपनी सेना बल्कि वहाँ के जनसांख्यिकी ढांचे में भी बदलाव किए हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
क्या युद्ध ही एकमात्र विकल्प है?
राजनीतिक और सामरिक विशेषज्ञों की राय में, बिना युद्ध के PoK को वापस लेना लगभग असंभव दिखता है। पाकिस्तान की सरकार और सेना कभी भी अपनी मर्जी से PoK को भारत को नहीं सौंपेंगी। हालांकि, युद्ध का विकल्प चुनने पर दोनों देशों के लिए आर्थिक और सामाजिक क्षति होगी। युद्ध की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभर सकता है।
भारत का PoK पर दावा न केवल ऐतिहासिक और संवैधानिक आधार पर मजबूत है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी सटीक है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति और पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति इसे जटिल बना देती है। अगर पाकिस्तान शांति से PoK नहीं लौटाता, तो भारत के पास कूटनीतिक प्रयासों के बाद युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।