वक्फ संशोधन ( Waqf Amendment) विधेयक को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। एक ओर जहां इस बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी सांसद Jagdambika Pal ने बड़ा बयान देकर सभी का ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा है कि यदि वक्फ समिति की रिपोर्ट असंवैधानिक पाई जाती है, तो वह तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
क्या है Waqf Amendment विधेयक?
वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और अवैध कब्जों को रोकना है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक खासकर पासमांदा मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा करेगा। लेकिन विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय पर हमला बता रहा है।
जगदंबिका पाल का पक्ष
संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल ने साफ कहा कि वक्फ अधिनियम कोई धार्मिक कानून नहीं, बल्कि एक वैधानिक व्यवस्था है। इसका मकसद वक्फ संपत्तियों का न्यायसंगत और पारदर्शी प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
“अगर मेरी अध्यक्षता में बनी रिपोर्ट को अदालत असंवैधानिक मानेगी, तो मैं बिना किसी देरी के इस्तीफा दे दूंगा। हम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं,” — जगदंबिका पाल
ओवैसी का विरोध और प्रतिक्रिया
इस बिल का सबसे तीखा विरोध AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने किया है। उन्होंने संसद में इस बिल की प्रति फाड़ दी और इसे “मुसलमानों पर सीधा हमला” बताया। ओवैसी का आरोप है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
विपक्ष पर पलटवार
पाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन और उनकी रक्षा के लिए लाया गया है, ना कि किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर
सुप्रीम कोर्ट में इस विधेयक की वैधता को लेकर सुनवाई जारी है। अदालत का फैसला यह तय करेगा कि यह कानून संवैधानिक मानकों पर खरा उतरता है या नहीं। जगदंबिका पाल का इस्तीफे की पेशकश करना इस पूरे मामले को और गंभीर बना देता है।