राजधानी के पटेल नगर में बुनियादी सुविधाओं की भारी किल्लत को लेकर रहवासियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। पानी, सड़क, नाली और स्ट्रीट लाइट जैसी ज़रूरी सुविधाएं न मिलने पर कॉलोनीवासियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
63 साल पहले 1962 में बसाई गई पटेल नगर कॉलोनी में आज 5,000 से ज़्यादा लोग रह रहे हैं, लेकिन हालत बदतर हैं। रायसेन रोड जैसे प्रमुख मार्ग से सटी इस 90 एकड़ की कॉलोनी (A से F-6 सेक्टर तक) में न सड़कें दुरुस्त हैं, न नालियां साफ़, और न ही स्ट्रीट लाइट का नामोनिशान।

टूटी सड़कें, उजड़े पार्क, असामाजिक तत्वों का कब्ज़ा
रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी की सड़कों पर धूल उड़ रही है और पार्कों में असामाजिक तत्वों का डेरा है। कॉलोनाइज़र पर भी गंभीर आरोप हैं—विकास कार्यों की अनदेखी के साथ कॉलोनी के लिए छोड़ी गई ज़मीन तक बेच दी जा रही है।
रहवासी संस्था बनी, लेकिन चुनाव रोक दिए गए
14 महीने पहले बनी रहवासी संस्था के संस्थापक अध्यक्ष बृजेश सिंह ने कहा कि अब लोग जागरूक हो चुके हैं—न झूठे वादे चलेंगे, न बहाने। संघर्ष अब रुकने वाला नहीं है।
संस्था के उपाध्यक्ष मनीष उपाध्याय, वरिष्ठ सदस्य जीपी मिश्रा और रमेशकुमार तिवारी ने बताया कि आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही है और बैठकों का सिलसिला जारी है।
महिलाओं ने भी जताई नाराजगी ( https://deshharpal.com/ )

चित्रा झा ने बताया कि धूल भरी सड़कों पर बच्चों और बुजुर्गों का चलना मुश्किल हो गया है। अंजू आचार्य ने कहा कि रात में उजाड़ पार्क और अंधेरी गलियां असुरक्षित हो चुकी हैं।
सुषमा दुबे ने कहा कि जिम्मेदारों से कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
अर्चना चतुर्वेदी, नंदलाल साहू, केएम विष्णु, अरविंद सचान और गीता डोंगरे जैसे कई स्थानीय लोगों ने भी चेताया है कि अब अगर सुविधाएं नहीं मिलीं तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।