छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू से हुई नक्सल मुद्दे पर बातचीत को अपने सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने बताया कि साहू समेत कांग्रेस के कुछ नेताओं ने नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिसके लिए उन्होंने खुद फोन कर आभार जताया।
शर्मा ने लिखा – “हम सब चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो। जो भी इस मुहिम में साथ देगा, उसका सम्मान किया जाएगा।”
फोन पर हुई बातचीत में धनेंद्र साहू ने भी सरकार की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा – “जब पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई हो रही है, तो विपक्ष में रहकर भी विरोध करना सही नहीं होगा। जो सच है, उसे बोलना चाहिए।”
बस्तर में विकास और सम्मान की दोहरी योजना
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बातचीत में बताया कि बस्तर में नक्सल प्रभावित परिवारों के लिए विशेष सर्वे कराकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिए जा रहे हैं। साथ ही ‘बस्तर ओलंपिक’ और ‘बस्तर पुंडम’ जैसे आयोजनों के जरिए स्थानीय युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
इसके अलावा, बस्तर में शहीद जवानों और नागरिकों की याद में “बलिदानी स्मारक” बनाए जा रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा स्मारकों की योजना है, जिन पर संगमरमर की प्रतिमा लगाई जाएगी। हर स्मारक पर लगभग 3 लाख रुपये खर्च होंगे।
धनेंद्र साहू ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा – “यह उन शहीदों को सच्चा सम्मान है जिन्होंने राज्य की सुरक्षा के लिए जान दी। सरकार का ये कदम सराहनीय है।”
झीरम सिर्फ एक पार्टी नहीं, पूरे राज्य का दर्द
विजय शर्मा ने बताया कि इस बार वह खुद झीरम घाटी जाएंगे, जहां नेताओं की शहादत हुई थी, और वहां पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इस पर साहू ने कहा – “झीरम जैसी घटनाएं किसी एक पार्टी की नहीं, पूरे राज्य की पीड़ा हैं। ऐसे मौकों पर एकजुटता ही सच्ची राजनीति है।”
डिप्टी सीएम अरुण साव का तंज – नक्सलियों पर नरमी आज भी बरकरार?
इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य के दूसरे डिप्टी सीएम अरुण साव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा – “अगर विपक्ष सरकार के अच्छे कामों का समर्थन करता है, तो यही आदर्श राजनीति है। लेकिन कुछ नेता, जो पांच साल तक नक्सलियों को परोक्ष संरक्षण देते रहे, आज सरकार को फेल बता रहे हैं। इससे साफ है कि उनके मन में अब भी नक्सलियों के लिए नरमी है।”
चाहें बस्तर का विकास हो या झीरम की शहादत – नक्सलवाद के खिलाफ एकजुटता की नई तस्वीर उभर रही है।
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