देश हरपल एक्सक्लूसिव
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर का भारत आगमन इतिहास के सबसे चर्चित विषयों में से एक है। एक लंबे समय से यह चर्चा होती रही है कि क्या मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने वास्तव में बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था या नहीं। इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हमने कई प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों और इतिहासकारों की राय को खंगाला।
क्या था ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य?
16वीं शताब्दी के प्रारंभ में उत्तर भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। दिल्ली की सत्ता लोदी वंश के हाथों में थी, लेकिन सुल्तान इब्राहिम लोदी के खिलाफ कई विरोधी शासक थे, जिनमें राणा सांगा प्रमुख थे। दूसरी ओर, बाबर मध्य एशिया का एक शक्तिशाली शासक था, जिसने समरकंद और काबुल पर शासन किया था और उसकी नजरें हिंदुस्तान पर थीं।

इतिहासकारों की राय और प्रमुख ग्रंथों का उल्लेख
- बाबरनामा (Baburnama)
बाबर की आत्मकथा बाबरनामा में कहीं भी यह उल्लेख नहीं मिलता कि राणा सांगा ने उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए बुलाया था। हां, इसमें यह जरूर लिखा गया है कि राणा सांगा और बाबर के बीच दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के खिलाफ एक अनौपचारिक सहमति थी। - फरिश्ता की ‘तारीख-ए-फरिश्ता’
फ़ारसी इतिहासकार मुहम्मद कासिम फरिश्ता की पुस्तक ‘तारीख-ए-फरिश्ता’ में लिखा गया है कि राणा सांगा को उम्मीद थी कि बाबर इब्राहिम लोदी को परास्त करने के बाद दिल्ली छोड़कर वापस चला जाएगा, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो राणा सांगा और बाबर के बीच संघर्ष हो गया। - सतिश चंद्र की ‘मध्यकालीन भारत’
आधुनिक इतिहासकारों में प्रो. सतिश चंद्र ने अपनी पुस्तक ‘मध्यकालीन भारत’ में लिखा है कि राणा सांगा ने बाबर को निमंत्रण नहीं दिया था, बल्कि दोनों के बीच बस एक आपसी समझौता था। - आर.सी. मजूमदार की ‘एन एडवांस्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया’
प्रसिद्ध इतिहासकार आर.सी. मजूमदार ने लिखा कि राणा सांगा और बाबर की मुलाकात कभी नहीं हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह संभव है कि सांगा को बाबर से कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन उन्होंने कभी बाबर को निमंत्रण नहीं दिया।
खानवा की लड़ाई: विश्वासघात या गलतफहमी?
- बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराया।
- राणा सांगा चाहते थे कि बाबर लोदी वंश को हराने के बाद वापस लौट जाए, लेकिन बाबर ने ऐसा नहीं किया।
- 1527 में खानवा की लड़ाई में बाबर और राणा सांगा के बीच सीधा युद्ध हुआ, जिसमें बाबर की विजय हुई।
निष्कर्ष
इतिहासकारों और प्रामाणिक ग्रंथों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि राणा सांगा ने बाबर को भारत आने का कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं दिया था। हां, इब्राहिम लोदी के खिलाफ एक अनकहा गठबंधन जरूर था, लेकिन बाबर ने भारत पर अपने हितों के कारण आक्रमण किया था, न कि राणा सांगा के निमंत्रण पर। बाद में जब राणा सांगा को एहसास हुआ कि बाबर वापस नहीं जाने वाला, तो उन्होंने उसके खिलाफ युद्ध किया।
(लेखक: देश हरपल न्यूज़ डेस्क)