यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका रूस की शर्तों के सामने झुकेगा नहीं और मजबूती से खड़ा रहेगा। रूस ने काला सागर में युद्धविराम के लिए शर्त रखी है कि पश्चिमी देश उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाएं।
रूस की नई शर्तें और ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया
मंगलवार को रूस ने घोषणा की कि वह काला सागर में व्यापारिक जहाजों की सुरक्षित आवाजाही के लिए युद्धविराम के लिए तैयार है। लेकिन उसने शर्त रखी कि पश्चिमी देश रूस के खाद्य और उर्वरक व्यापार से जुड़े आर्थिक प्रतिबंध हटाएं।
ज़ेलेंस्की ने पेरिस में यूरोप के कई पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका रूसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। जब बीबीसी ने उनसे पूछा कि क्या अमेरिका रूस की इन मांगों को मान सकता है, तो उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा। भगवान करे, वे मजबूती से खड़े रहें। लेकिन देखना होगा कि आगे क्या होता है।”
अमेरिका और यूरोप का जवाब
व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका, रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच सऊदी अरब में तीन दिन की बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी है। लेकिन कुछ ही घंटे बाद क्रेमलिन ने बयान जारी कर कुछ शर्तें रख दीं।
रूस ने मांग की है कि उसके कृषि व्यापार से जुड़े वित्तीय संस्थानों पर लगे प्रतिबंध हटाए जाएं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम SWIFT तक दोबारा पहुंच दी जाए।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सरकार इस अनुरोध पर विचार कर रही है। लेकिन यूरोपीय संघ (EU) ने साफ कर दिया कि जब तक रूसी सेना पूरी तरह यूक्रेनी सीमा से पीछे नहीं हटती, तब तक प्रतिबंधों को हटाने का सवाल ही नहीं उठता।
अमेरिका में रूस के प्रभाव की चिंता
ज़ेलेंस्की ने कहा कि वे अमेरिकी समर्थन के लिए आभारी हैं, लेकिन उन्हें चिंता है कि कुछ लोग “रूसी प्रचार” के प्रभाव में आ सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हम रूस के इन झूठे नैरेटिव्स को स्वीकार नहीं कर सकते।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या डोनाल्ड ट्रंप का रिश्ता उनके साथ ज्यादा अच्छा है या पुतिन के साथ, तो उन्होंने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता। यह कहना मुश्किल है। मैं नहीं जानता कि उनकी कितनी बार किससे बातचीत हुई है।”
यूरोप की भूमिका और ट्रंप के दूत की टिप्पणी
पिछले हफ्ते ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ़ ने कहा था कि यूरोप द्वारा यूक्रेन की मदद के लिए “कोएलिशन ऑफ द विलिंग” (इच्छुक देशों का गठबंधन) बनाने का प्रयास बेकार है। इस पर ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह इस पर जल्दबाज़ी में निष्कर्ष नहीं निकालेंगे।
उन्होंने कहा, “जहां तक मैं जानता हूं, विटकॉफ़ को रियल एस्टेट खरीदने और बेचने का अच्छा अनुभव है, लेकिन यह मामला अलग है।”
इतिहास में ज़ेलेंस्की की पहचान?
बीबीसी ने ज़ेलेंस्की से पूछा कि भविष्य में इतिहास उन्हें कैसे याद करेगा – यूक्रेन को बचाने वाले नेता के रूप में या इसे गिरते देखने वाले व्यक्ति के रूप में?
इस पर ज़ेलेंस्की ने भावुक होते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि इतिहास की किताबों में मेरे बारे में क्या लिखा जाएगा। लेकिन मेरा मकसद यह नहीं है। मेरा लक्ष्य है – अपने देश की रक्षा करना और यह देखना कि मेरे बच्चे बिना किसी डर के अपनी सड़कों पर चल सकें।“
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपनी आखिरी सांस तक यूक्रेन की रक्षा करने के लिए हर संभव कोशिश करूंगा।”
नाटो में यूक्रेन की एंट्री का मुद्दा
ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होना गठबंधन को और मजबूत करेगा। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि फिलहाल यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
यूक्रेन और रूस के बीच जंग अब भी जारी है, और ज़ेलेंस्की को उम्मीद है कि अमेरिका रूस की शर्तों को नहीं मानेगा। हालांकि, रूस का दबाव बढ़ता जा रहा है, और अमेरिका की नीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
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