पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024 के चुनावी दौड़ में फिर से मैदान में उतरे डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संभावित आर्थिक एजेंडे का एक बड़ा खुलासा किया है। ट्रंप ने ‘डर्टी-15’ नाम से उन 15 देशों की सूची तैयार की है, जिन पर वह भारी टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि ये देश अमेरिका के साथ व्यापार में “अनुचित लाभ” उठा रहे हैं और इसलिए इन्हें ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ (पारस्परिक शुल्क) देना होगा।
क्या है ट्रंप की ‘डर्टी-15’ लिस्ट?
ट्रंप ने अमेरिका के व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए उन देशों की पहचान की है, जिन पर नए टैरिफ लगाए जाएंगे। इनमें चीन, भारत, मैक्सिको, जर्मनी, वियतनाम, जापान, कनाडा और कई अन्य देश शामिल हैं। ट्रंप के मुताबिक, ये देश अमेरिका के बाजारों से फायदा उठाते हैं लेकिन बदले में समान अवसर नहीं देते।
किन देशों को झेलनी पड़ेगी टैरिफ की मार?
इस लिस्ट में प्रमुख रूप से वे देश हैं जो अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं, लेकिन बदले में अमेरिकी सामान पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं या व्यापार में असंतुलन बनाए रखते हैं। भारत और चीन खासतौर पर इस नीति से प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि दोनों देश अमेरिका को बड़े पैमाने पर टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटोमोबाइल और आईटी सेक्टर में सेवाएं और उत्पाद निर्यात करते हैं।

ट्रंप की व्यापार नीति और प्रभाव
ट्रंप का यह कदम उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा माना जा रहा है। इससे अमेरिका में कुछ उद्योगों को फायदा हो सकता है, लेकिन कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निर्यात पर निर्भर देशों को बड़ा झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप 2024 का चुनाव जीतते हैं, तो उनकी टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार को अस्थिर कर सकती है और चीन, भारत जैसे देशों के साथ आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
भारत पर असर?
भारत, जो अमेरिका के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, ट्रंप की इस नई नीति से प्रभावित हो सकता है। अगर ट्रंप भारी टैरिफ लगाते हैं, तो भारत के टेक्सटाइल, आईटी और फार्मास्युटिकल उद्योगों को नुकसान हो सकता है।
क्या ट्रंप का यह फैसला वाकई अमेरिका के हित में होगा या वैश्विक व्यापार के लिए एक नई चुनौती खड़ी करेगा? यह आने वाले समय में साफ होगा।