भोपाल के कमला नगर थाना क्षेत्र में शुक्रवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब दो दिन से लापता युवक की लाश एक डैम में तैरती हुई मिली। मृतक की पहचान लालू यादव उर्फ अर्जुन यादव के रूप में हुई है, जो शबरी नगर का रहने वाला था। उसका शव बिलकिसगंज थाना क्षेत्र के एक डैम में मिला।
परिजनों का आरोप – “कैफे में हुई थी हत्या, पुलिस ने समय रहते कदम नहीं उठाया”
मृतक की बहन ममता यादव ने चौंकाने वाला दावा करते हुए बताया कि 19 मई की रात को उसके भाई को नेहरू नगर स्थित पलक कॉम्प्लेक्स के एक कैफे में बुलाया गया था। यह कैफे शुभम नागेश्वर नाम के युवक का बताया जा रहा है।
ममता के अनुसार:
“सीसीटीवी फुटेज में मेरा भाई रात 12:19 बजे कैफे के अंदर जाते दिखता है, लेकिन कभी बाहर नहीं आता। वहीं, रात करीब 3 बजे, चार-पांच युवक एक बॉक्स में कुछ उठाकर ले जाते दिख रहे हैं। हमें यकीन है कि उसी बॉक्स में मेरे भाई की लाश थी।”
लाश मिलने के बाद परिवार का हंगामा, पुलिस पर गंभीर आरोप
जैसे ही परिजनों को लालू की मौत की खबर मिली, वे कमला नगर थाने पहुंच गए और घेराव कर दिया। उनका आरोप है कि पुलिस को पहले ही सीसीटीवी फुटेज सौंप दी गई थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
ममता ने कहा:
“हम दो दिन से पुलिस के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन ना तो किसी आरोपी को बुलाया गया, ना पूछताछ हुई। उल्टा हमें ही टालते रहे। अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो आज मेरा भाई जिंदा होता।”

शुभम मृतक की शर्ट और बाइक के साथ दिखा – बहन का दावा
ममता का कहना है कि एक फुटेज में शुभम यादव लालू की शर्ट और जूते पहनकर बाहर निकलता दिख रहा है। पैंट अलग थी, जिससे लगता है कि हत्या की प्लानिंग पहले से की गई थी। उन्होंने बताया कि शुभम और लालू की पहचान 8 साल पुरानी थी। पहले भी एक लड़की के मामले को लेकर लालू को जान से मारने की धमकी मिल चुकी थी।
पुलिस का बयान – जांच जारी है
बिलकिसगंज थाना क्षेत्र से शव मिलने की पुष्टि करते हुए एसीपी चंद्रशेखर पांडे ने कहा:
“अज्ञात शव मिलने की सूचना मिली थी, जिसकी पहचान अब लापता युवक अर्जुन यादव के रूप में हुई है। मर्ग कायम कर लिया गया है। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होगी। परिजनों की संवेदनाएं हमारे साथ हैं और आरोपियों को छोड़ा नहीं जाएगा।”
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इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं? अगर पुलिस सतर्क होती, तो क्या एक मासूम जान बचाई जा सकती थी?