फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गुना के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सलूजा को बड़ा झटका
गुना के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सलूजा को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में उनकी पेंशन और अन्य सरकारी लाभ वापस लेने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, अब वह खुद को ‘पूर्व विधायक’ भी नहीं लिख सकेंगे।
क्या है पूरा मामला?
➡️ गुना विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है।
➡️ वर्ष 2008 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और भाजपा का समर्थन मिला।
➡️ सांसी समुदाय का जाति प्रमाण पत्र पेश कर आरक्षण का लाभ लिया और विधायक बने।
➡️ कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सलूजा सामान्य जाति के हैं और उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग किया।
➡️ 2011 में जांच के बाद उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया।
कोर्ट में 12 साल तक चली कानूनी लड़ाई
✅ जाति प्रमाण पत्र रद्द होने के बाद सलूजा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जो 2012 में खारिज कर दी गई।
✅ 2013 में उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज हुई।
✅ 2016 में पार्षद वंदना मांडरे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें सलूजा की पेंशन और अन्य लाभ रद्द करने की मांग की गई।
✅ 2017 में हाई कोर्ट ने इस याचिका को द्वेषपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया और वंदना मांडरे पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया।
✅ वंदना मांडरे ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
✅ 18 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सलूजा को पेंशन और सरकारी लाभों के लिए अयोग्य ठहरा दिया।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – 4 बड़े आदेश
1️⃣ सलूजा अब किसी भी तरह की पेंशन के हकदार नहीं होंगे।
2️⃣ उनसे अब तक मिली पेंशन और अन्य लाभों की वसूली की जाएगी।
3️⃣ वे अब खुद को ‘पूर्व विधायक’ भी नहीं लिख सकेंगे।
4️⃣ उनके खिलाफ वसूली और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अब आगे क्या?
➡️ सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सलूजा को हर तरह के सरकारी लाभ वापस करने होंगे।
➡️ उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता भी खुल गया है।
➡️ इस फैसले के बाद फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर चुनाव लड़ने वालों के लिए एक सख्त मिसाल कायम हुई है।
इस फैसले पर आपकी क्या राय है? कमेंट में बताएं!
https://deshharpal.com/ से जुड़ें और लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमें Instagram, Twitter और Facebook पर फॉलो करें!