नई दिल्ली – अमेरिका के नए उपराष्ट्रपति जेडी वेंस इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं। वजह है उनके एक के बाद एक विदेशी दौरे – और हर दौरे के बाद उठता कोई न कोई विवाद। अब जब वे भारत पहुंचे हैं, तो सवाल ये है – भारत उनका स्वागत कैसे करेगा और रिश्तों को कैसे संभालेगा?
3 महीने में 5 दौरे, हर जगह विवाद
जेडी वेंस ने अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से अब तक 5 देशों का दौरा कर लिया है – और ये सब सिर्फ तीन महीने के अंदर।
- यूरोप में उन्होंने नाटो पर दिए बयान से हलचल मचा दी
- जापान में उन्होंने ट्रेड डील को लेकर सवाल उठाए
- मध्य-पूर्व में उनके कुछ बयान कूटनीतिक गलियारों में गूंजते रहे
हर दौरे के बाद अमेरिका को सफाई देनी पड़ी या संबंधों को संभालना पड़ा।
भारत को क्यों है ये दौरा खास?
भारत और अमेरिका के रिश्ते इस समय बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। व्यापार, सुरक्षा, तकनीक और एशिया की राजनीति – हर स्तर पर दोनों देश एक-दूसरे के नजदीक आ रहे हैं।
भारत के लिए ये दौरा एक मौका भी है और चुनौती भी। जेडी वेंस के साथ बातचीत में ये देखा जाएगा कि अमेरिका की नई सरकार भारत को किस नजर से देखती है।
जेडी वेंस का राजनीतिक स्टाइल
वेंस को अमेरिका में बोल्ड और विवादास्पद नेता के रूप में जाना जाता है। वे बिना लाग-लपेट के बात करते हैं, जो कई बार राजनयिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देती है।
लेकिन वहीं, वे एक ईमानदार और स्पष्ट सोच वाले नेता भी माने जाते हैं, जो अमेरिका की घरेलू समस्याओं को समझते हैं।
भारत की तैयारी
भारत इस दौरे को डिप्लोमैटिक बैलेंस के रूप में देख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय इस बात को लेकर सतर्क हैं कि बातचीत सकारात्मक दिशा में जाए।
सूत्रों के मुताबिक, व्यापार, तकनीक ट्रांसफर, रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर बातचीत होगी।
क्या कहता है आम भारतीय?
दिल्ली की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, लोग जेडी वेंस को लेकर मिश्रित भावनाएं रखते हैं। कोई उन्हें अमेरिका का ट्रंप 2.0 कहता है, तो कोई उन्हें बदलाव की उम्मीद मानता है।
रजनीश कुमार, एक युवा उद्यमी कहते हैं – “हमें उम्मीद है कि भारत को मजबूत साझेदार की तरह देखा जाएगा, न कि सिर्फ एक बाजार की तरह।”