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Contempt of Court यानी अदालत की अवमानना के मामले में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा दायर एक पुराने केस में मेधा पाटकर के खिलाफ अदालत ने सख्त रुख अपनाया है।

गुरुवार को साकेत कोर्ट ने Medha Patkar को एक मामले में जुर्माना अदा करने का आदेश दिया था, जो उन्होंने समय पर नहीं भरा। यह मामला उपराज्यपाल सक्सेना द्वारा दाखिल उस याचिका से जुड़ा है जिसमें उन्होंने मेधा पाटकर पर मानहानि के आरोप लगाए थे। कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन पाटकर ने अदालत में पेशी नहीं दी।
कोर्ट के आदेश की यह अनदेखी सीधा-सीधा अदालत की अवमानना मानी गई, जिस पर गैर-जमानती वारंट (Non-Bailable Warrant) जारी कर दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पाटकर को अनदेखी करने का अब जवाब देना ही होगा।
आज (25 अप्रैल 2025) मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां उनके खिलाफ अगली कानूनी कार्रवाई तय होगी। इस पूरे मामले को देखते हुए यह साफ हो गया है कि अदालतें अब अवमानना के मामलों को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं हैं।
विनय कुमार सक्सेना और मेधा पाटकर के बीच का यह विवाद नया नहीं है। यह मामला वर्ष 2000 के दशक से जुड़ा है, जब नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान कई आरोप-प्रत्यारोप सामने आए थे। अब जबकि यह विवाद न्यायालय की चौखट पर है, पाटकर को कानून के दायरे में रहकर जवाब देना होगा।
Desh Harpal इस पूरे घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए है। जैसे ही आगे की जानकारी सामने आती है, हम आपको अपडेट करते रहेंगे।