मध्यप्रदेश सरकार ने पचमढ़ी शहर को अभयारण्य की सीमाओं से बाहर करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया कि पचमढ़ी की 395.93 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग से हटाकर राजस्व भूमि (नजूल) घोषित किया जाएगा। इसका मतलब साफ है – अब इस क्षेत्र में जमीन की खरीदी-बिक्री और विकास कार्य संभव हो पाएंगे।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद लिया गया है। अब पचमढ़ी अभयारण्य का नया नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। 1977 में जब पचमढ़ी को अभयारण्य घोषित किया गया था, तब इसकी सीमाएं स्पष्ट नहीं की गई थीं, जिससे वर्षों तक न तो सरकार कोई विकास कार्य कर पाई, न ही आम नागरिक जमीन का उपयोग कर सके।

अब आएंगे पर्यटन और विकास के नए प्रोजेक्ट
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि अब पचमढ़ी स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी इस भूमि की जिम्मेदारी संभालेगी। सरकार का प्लान है कि यहां पर्यटन को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट्स लाए जाएं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से कानूनी मंजूरी मिलने के बाद अब इन क्षेत्रों में विकास की राह खुल चुकी है।
खेती-किसानी, नक्सल और शिक्षा पर भी अहम फैसले (https://deshharpal.com/)
- कृषि पर फोकस: मंदसौर में हाल ही में हुए कृषि समागम का जिक्र करते हुए मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि खेती से ही GDP में इजाफा संभव है। मुख्यमंत्री किसानों से सीधे संवाद कर रहे हैं और आगे नरसिंहपुर व सतना में भी ऐसे कार्यक्रम होंगे।
- नक्सल प्रभावित जिलों में 850 युवाओं की तैनाती: बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जैसे नक्सल मूवमेंट वाले इलाकों में सरकार 850 स्थानीय युवाओं को नियुक्त करेगी, जो नक्सल मूवमेंट की जानकारी सरकार तक पहुंचाएंगे। इन कार्यकर्ताओं को ₹25,000 मासिक मानदेय मिलेगा।
- नए जिलों में नए दफ्तर: मऊगंज सहित तीन नए जिलों में खाद्य विभाग और नापतौल विभाग के नए कार्यालय खुलेंगे।
- दिव्यांग ओलंपिक खिलाड़ियों को सम्मान: कैबिनेट ने दो दिव्यांग युवाओं को एक-एक करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया, जिन्होंने ओलंपिक में प्रदेश का नाम रोशन किया।
- पेंशनरों के लिए नई व्यवस्था: जिला पेंशन कार्यालयों से स्टाफ कम करके, उन्हें अन्य विभागों में समायोजित किया जाएगा। साथ ही, एक केंद्रीकृत पेंशन प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।
- बोर्ड परीक्षा के फेल छात्रों को दूसरा मौका: 12वीं के फेल छात्रों को जून में दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। नई शिक्षा नीति के तहत किसी को सप्लीमेंट्री नहीं दी गई है।
- गेहूं खरीदी में रिकॉर्ड: इस साल अब तक 8.76 लाख किसानों से 76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है, जो बढ़कर 81 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है। अब तक ₹16,472 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है।