देश हरपल न्यूज़ | 30 मार्च 2025
हिंदी सिनेमा की दुनिया से एक भावुक खबर सामने आई है। दिग्गज अभिनेता, निर्देशक और लेखक मनोज कुमार का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और शनिवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी मौत से न केवल फिल्म इंडस्ट्री, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। अपने अभिनय और निर्देशन के जरिए उन्होंने देशभक्ति को जिस अंदाज़ में फिल्मों में उतारा, वह आज भी दर्शकों के दिलों में ज़िंदा है।
भारत कुमार की पहचान:
मनोज कुमार को लोग प्यार से ‘भारत कुमार’ के नाम से जानते थे। यह नाम उन्हें उनकी फिल्मों की वजह से मिला, जो देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थीं। ‘शहीद’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्में न सिर्फ हिट रहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल में देश के लिए गर्व भरने का काम किया। इन फिल्मों में उन्होंने नायक के साथ-साथ निर्देशक की भूमिका भी निभाई।
‘उपकार’ और लाल बहादुर शास्त्री का योगदान:
मनोज कुमार की सबसे यादगार फिल्मों में से एक ‘उपकार’ (1967) है। कम लोग जानते हैं कि यह फिल्म उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई थी। शास्त्री जी ने उनसे ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे पर एक फिल्म बनाने को कहा। मनोज कुमार ने उस सुझाव को अपना मिशन बना लिया और ‘उपकार’ जैसी कालजयी फिल्म रची। इस फिल्म की सफलता के बाद ही उन्हें ‘भारत कुमार’ की उपाधि मिली।
राष्ट्रीय सम्मान और योगदान:
मनोज कुमार को पद्मश्री (1992) और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (2015) से नवाजा गया। उन्होंने ना सिर्फ सिनेमा को नई दिशा दी, बल्कि समाज में जागरूकता और राष्ट्रप्रेम को भी मजबूती दी। वे उन विरले कलाकारों में से थे, जो मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश देने में विश्वास रखते थे।
एक अभिनेता, एक विचारधारा:
मनोज कुमार की फिल्में हमेशा किसी सामाजिक मुद्दे को उठाती थीं—कभी गरीबी, कभी बेरोज़गारी, तो कभी पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को। उन्होंने अपनी फिल्मों के ज़रिए आम आदमी की आवाज़ को बड़े पर्दे पर जगह दी।
अंतिम विदाई:
मनोज कुमार के निधन के बाद सोशल मीडिया पर प्रशंसकों और फिल्म जगत की हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी। उनके पार्थिव शरीर को आज शाम मुंबई में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और बाद में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
देश हरपल की श्रद्धांजलि:
‘भारत कुमार’ अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बनाई फिल्मों और विचारों के जरिए वे हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगे। उनका जीवन हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है—कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि देशभक्ति और समाज परिवर्तन का माध्यम भी हो सकता है।
✦ मनोज कुमार को देश हरपल की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।