Bangladesh Political Crisis 2025: बांग्लादेश की सियासत एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री प्रोफेसर Mohammad Yunus के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं। आधी रात को बीबीसी बांग्ला सेवा की एक रिपोर्ट ने इस खबर को हवा दी, जिसमें नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रमुख Nahid Islam के हवाले से कहा गया कि यूनुस इस्तीफे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
Nahid, जो कभी यूनुस के सलाहकार रह चुके हैं, ने मीडिया से बातचीत में कहा, “सर को लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे वह काम नहीं कर पा रहे हैं।” गौरतलब है कि Nahid ने इसी साल यूनुस से अलग होकर अपनी पार्टी NCP की स्थापना की थी।
क्या है Mohammad Yunus resignation news की वजह?
दरअसल, हाल के दिनों में यूनुस सरकार और देश की सैन्य व्यवस्था के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब यूनुस सरकार ने विदेश सचिव Mohammad Jashim Uddin को पद से हटा दिया — जबकि उन्हें महज 8 महीने पहले ही सितंबर 2024 में नियुक्त किया गया था।
Jashim ने सरकार की उस योजना का विरोध किया था जिसमें Rohingya शरणार्थियों के लिए मानवीय कॉरिडोर बनाने की बात कही गई थी। यह योजना यूनुस और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार Khalil-ur-Rahman द्वारा लाई गई थी, जिसका मकसद म्यांमार के रखाइन राज्य से भागकर आए रोहिंग्याओं को मानवीय सहायता देना था।
सेना क्यों है विरोध में?
यहीं से विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया। बांग्लादेश की सेना ने Myanmar से Bangladesh तक प्रस्तावित humanitarian corridor का कड़ा विरोध किया। सेना का कहना है कि इस कॉरिडोर से देश की sovereignty यानी राष्ट्रीय स्वायत्तता पर खतरा मंडरा रहा है और इसका कोई ठोस कूटनीतिक लाभ भी नहीं दिख रहा।
सेना प्रमुख द्वारा हाल ही में की गई एक प्रेस ब्रीफिंग को यूनुस सरकार के लिए “Final Warning” के रूप में देखा गया, जिसने राजनीतिक संकट को और गहरा कर दिया।
Yunus की छवि पर सवाल
सरकार की कूटनीतिक अस्थिरता और सेना से खुला टकराव यूनुस की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर काफी public discourse शुरू हो चुका है। सत्ताधारी खेमे में भी दो फाड़ नजर आ रही है — एक पक्ष यूनुस के साथ है, तो दूसरा उनकी नीतियों को देश के लिए खतरा मानता है
आगे क्या?
Bangladesh Interim Government Crisis अब ऐसे मोड़ पर है, जहां से लौटना आसान नहीं लगता। अगर यूनुस इस्तीफा देते हैं, तो यह बांग्लादेश के इतिहास में एक और अस्थिर अध्याय होगा। वहीं, अगर वे दबाव में बिना इस्तीफा दिए कार्यकाल पूरा करते हैं, तो उन्हें सेना, राजनीतिक दलों और जनता — तीनों को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी।
Mohammad Yunus के इस्तीफे की खबरें सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि Bangladesh के राजनीतिक और कूटनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकती हैं। Rohingya शरणार्थियों को लेकर लिए गए फैसले, सेना से मतभेद और विदेश नीति की खामियों ने इस पूरे संकट को जन्म दिया है। आने वाले दिनों में इस पर देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी रहेंगी।