बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima), जिसे वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) के नाम से भी जाना जाता है, हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध (Lord Gautam Buddha) के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (Enlightenment) और महापरिनिर्वाण (Mahaparinirvana) — तीनों घटनाओं का साक्षी है, जिससे इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था, और बोधगया में उन्हें बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कुशीनगर में उन्होंने अंतिम उपदेश देकर महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया।
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी दुनियाभर में शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश देती हैं।
बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है (How Buddha Purnima is Celebrated)
- बौद्ध विहारों में पूजा और ध्यान: विशेष प्रार्थनाएं, ध्यान और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
- बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर में भव्य आयोजन: ये तीर्थ स्थल विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र और दान देना: करुणा और सेवा की भावना को बढ़ावा देने के लिए।
- बुद्ध की मूर्ति पर पुष्पांजलि: श्रद्धालु बुद्ध प्रतिमा पर फूल, दीप और जल अर्पित करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima 2025 Date & Time)
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 11 मई 2025 को रात 10:50 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 मई 2025 को रात 09:20 बजे
- बुद्ध पूर्णिमा व्रत और पूजा: 12 मई 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।
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