भोपाल, देश हरपल।
राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित स्मार्ट सिटी पार्क में लगे पेड़ अब विवाद का कारण बनते जा रहे हैं। यहां बड़े पैमाने पर लगाए गए कॉनोकर्पस (Conocarpus) नामक पेड़ को लेकर विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता जताई है। बताया जा रहा है कि यह पेड़ मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जैव विविधता के लिए बेहद हानिकारक है। यही वजह है कि इस पेड़ को गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्यों में प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन भोपाल जैसे शहर में इसे बड़े पैमाने पर लगाया जा रहा है, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
क्या है कॉनोकर्पस?
कॉनोकर्पस एक विदेशी प्रजाति का पेड़ है, जो मूल रूप से खाड़ी देशों और अमेरिका में पाया जाता है। इसे इसकी तेज़ बढ़त और कम समय में हरियाली देने की क्षमता के कारण भारत के कई हिस्सों में लगाया गया था। परंतु विशेषज्ञों के अनुसार यह केवल दिखावटी हरियाली है, इसकी जड़ें बेहद आक्रामक होती हैं और यह जमीन के नीचे की पाइपलाइनों, सीवरेज सिस्टम और यहां तक कि भवनों की नींव को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
क्यों है खतरनाक?
- मानव स्वास्थ्य पर असर: इसके परागकण (pollen) हवा में फैलते हैं और एलर्जी, अस्थमा, सांस संबंधी बीमारियों और त्वचा रोगों का कारण बनते हैं।
- जैव विविधता पर खतरा: यह पेड़ आसपास की देशी प्रजातियों को खत्म कर देता है क्योंकि यह भारी मात्रा में पानी और पोषण खींचता है।
- पर्यावरणीय नुकसान: इसकी पत्तियां किसी भी पशु या कीट द्वारा नहीं खाई जातीं, जिससे यह प्राकृतिक खाद श्रृंखला का हिस्सा नहीं बनता।
- बिजली और पानी की लाइनों को नुकसान: इसकी जड़ें बेहद तेज़ी से फैलती हैं और ज़मीन के नीचे की संरचनाओं को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकती हैं।
पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरणविदों का कहना है कि स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं में कॉनोकर्पस जैसे पेड़ लगाना पूरी तरह गलत और खतरनाक फैसला है। भोपाल जैसे शहर, जो झीलों और प्राकृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, वहां इस तरह की पेड़ लगाने से भविष्य में गंभीर पारिस्थितिक संकट खड़ा हो सकता है।
सरकार और नगर निगम की चुप्पी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब यह पेड़ पहले से ही तीन राज्यों में प्रतिबंधित हो चुका है, तब भी भोपाल में इसका बड़े पैमाने पर रोपण किया जा रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या नगर निगम और स्मार्ट सिटी मिशन के अधिकारी इस प्रजाति के पेड़ के खतरों से अनजान हैं या जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रहे हैं?
क्या हो अगला कदम?
- विशेषज्ञों की राय है कि तुरंत प्रभाव से इस पेड़ को हटाया जाए।
- इसकी जगह स्थानीय और देशी प्रजातियों को प्राथमिकता दी जाए जैसे नीम, पीपल, बरगद, अर्जुन आदि।
- नगर निगम को एक बायोडायवर्सिटी ऑडिट कराना चाहिए जिससे यह तय हो सके कि शहर की हरियाली प्राकृतिक और लाभकारी हो।
देश हरपल की अपील:
भोपाल के नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों को चाहिए कि वे इस विषय में स्वर उठाएं और प्रशासन से जवाब मांगें। केवल दिखावटी हरियाली नहीं, बल्कि स्थायी और सुरक्षित हरियाली ही स्मार्ट सिटी की असली पहचान होनी चाहिए।