चीन (China), पाकिस्तान (Pakistan) और अफगानिस्तान (Afghanistan) ने एक अहम समझौते के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तार देने पर सहमति जताई है। इस परियोजना का उद्देश्य अफगानिस्तान को क्षेत्रीय व्यापार, परिवहन और ऊर्जा संपर्क का केंद्र बनाना है। यह डील न सिर्फ तीनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि भारत (India) के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती भी पेश करेगी।
CPEC क्या है और इसका अफगानिस्तान से क्या संबंध है?
CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) चीन की महत्वाकांक्षी Belt and Road Initiative (BRI) का हिस्सा है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन के शिनजियांग तक फैला हुआ है। अब इस परियोजना को अफगानिस्तान तक बढ़ाया जा रहा है, जिससे रेलवे, सड़क, ऊर्जा पाइपलाइन और व्यापार नेटवर्क को मध्य एशिया तक जोड़ा जा सके।
चीन और पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस परियोजना से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और तीनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और मज़बूत होंगे।
सुरक्षा और आतंकवाद: सबसे बड़ी चुनौती
तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति बेहद नाजुक है। ISIS-K जैसे आतंकी संगठनों की सक्रियता ने चीन और पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है। हाल ही में काबुल में चीन के नागरिकों और संस्थानों पर हमलों के कारण चीन ने यह स्पष्ट किया है कि अगर सुरक्षा की गारंटी नहीं मिली तो वह CPEC विस्तार पर दोबारा विचार करेगा।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता और मानवाधिकार: निवेश में रोड़ा
तालिबान सरकार को अभी तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। इसके अलावा, महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों पर तालिबानी पाबंदियों को लेकर दुनिया भर में आलोचना हो रही है। इन परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास जीतना तालिबान सरकार के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।
भारत की नजर से: रणनीतिक और भौगोलिक खतरा
भारत शुरू से ही CPEC का विरोध करता रहा है क्योंकि इसका एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। अब CPEC का विस्तार अफगानिस्तान तक होने से भारत की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह चीन और पाकिस्तान के प्रभाव को भारत की उत्तरी सीमा तक पहुंचा सकता है।
हालांकि भारत भी अफगानिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने में जुटा है। हाल ही में भारत ने 160 अफगान ट्रकों को अटारी बॉर्डर से प्रवेश की अनुमति दी, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को दर्शाता है।
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