India-US Trade भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही व्यापार वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत “बहुत अच्छी तरह” आगे बढ़ रही है और जल्द ही एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
ट्रंप मिशिगन में रैली से पहले मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि वे अफ्रीका की यात्रा की योजना बना रहे हैं और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों से भी बातचीत प्रस्तावित है।
भारत सरकार बना रही है ‘लुभावना प्रस्ताव’, बातचीत में तेजी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सरकार India-US Trade डील को स्थायी और आकर्षक बनाने के लिए एक विशेष प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसे ‘स्वीटनर’ कहा जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका को दी जाने वाली रियायतें भविष्य में किसी अन्य देश को नहीं दी जाएं।
इसके लिए सरकार “फॉरवर्ड मोस्ट-फेवर्ड नेशन” (FMFN) क्लॉज शामिल करने पर विचार कर रही है। इस क्लॉज के तहत यदि भारत भविष्य में किसी और देश को बेहतर टैरिफ सुविधा देता है, तो वह सुविधा अमेरिका को भी अपने आप मिल जाएगी। यह क्लॉज अब तक भारत ने बहुत ही कम समझौतों में इस्तेमाल किया है।
अमेरिकी अधिकारी भी सकारात्मक
India-US Trade अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने इस बात की पुष्टि की कि भारत के साथ बातचीत सही दिशा में है और भारत संभवतः उन पहले देशों में होगा, जिनके साथ अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देगा।
वहीं, अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने CNBC को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि एक समझौता तैयार है, लेकिन अब अमेरिका उस देश के प्रधानमंत्री और संसद की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन आगामी 90 दिनों की समयसीमा से पहले इस डील को पूरा करना चाहता है।
ट्रंप का टैरिफ दांव: भारत को 26%, अमेरिका को 52% शुल्क
2 अप्रैल को डॉनल्ड ट्रंप ने “जवाबी शुल्क” (Reciprocal Tariffs) की घोषणा की, जिसके तहत भारत सहित कई देशों पर नई टैरिफ दरें लागू की गईं। भारत पर 26% टैरिफ लगाया गया, जबकि भारत अमेरिकी उत्पादों पर औसतन 52% शुल्क लगाता है।
हालांकि, 9 अप्रैल को ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता के बाद ट्रंप ने सभी जवाबी शुल्कों पर 90 दिन की रोक (pause) लगाने की घोषणा की। यह रोक चीन को छोड़कर सभी देशों पर लागू होगी। लेकिन 10% का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी रहेगा।
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