योग गुरु बाबा Ramdev एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने रूह अफ़ज़ा को लेकर उनकी विवादित टिप्पणी पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह बयान “अंतरात्मा को झकझोर देता है” और समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है।
Ramdev का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि रूह अफ़ज़ा की बिक्री से मस्जिदें बनाई जा रही हैं और इसे उन्होंने “शरबत जिहाद” बताया। कोर्ट ने इस बयान को “गैरजिम्मेदाराना” और “गंभीर रूप से भड़काऊ” बताया।
कोर्ट का कड़ा संदेश: जिम्मेदार लोग न फैलाएं नफरत
हाई कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों को बयान देने से पहले सामाजिक जिम्मेदारी समझनी चाहिए। इस तरह की टिप्पणियां भारत जैसे विविधता से भरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है चेतावनी
यह कोई पहला मामला नहीं है जब रामदेव या पतंजलि कोर्ट के निशाने पर आए हों। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि द्वारा भ्रामक विज्ञापन चलाने और एलोपैथी को बदनाम करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। Ramdev और उनके सहयोगियों को अदालत की अवमानना मामले में बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी।
कोविड को लेकर भ्रामक दावे पर भी फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में पतंजलि और रामदेव को आदेश दिया था कि वे एलोपैथी को कोविड-19 मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराने वाले अपने दावे हटाएं। अदालत ने कहा था कि इस तरह की गलत जानकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।