नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2025 – जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में सुरक्षा और राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें इस भीषण हमले से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
क्या है पहलगाम हमला?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में एक पर्यटक बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। इस हमले को कश्मीर में पिछले वर्षों में हुए सबसे भीषण हमलों में से एक माना जा रहा है। मारे गए लोगों में कई राज्यों के नागरिक शामिल थे, जिनमें बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार के लोग भी थे।
राष्ट्रपति भवन में हाई-लेवल ब्रीफिंग
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति को इस ब्रीफिंग में निम्नलिखित अहम बिंदुओं पर जानकारी दी गई:
- आतंकी संगठन की पहचान: हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों से जुड़ा है। शुरुआती जांच में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम सामने आया है।
- सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई: NIA, RAW और IB मिलकर ऑपरेशन चला रहे हैं ताकि दोषियों को जल्द पकड़ा जा सके।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अमेरिका, फ्रांस, रूस और जापान समेत कई देशों ने इस हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है।
भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया
सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कुछ अहम फैसले लिए हैं:
- सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को अगली सूचना तक रोका गया।
- अटारी सीमा चौकी बंद।
- SAARC वीज़ा छूट योजना से पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर किया गया।
- इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के स्टाफ में कटौती।
पीड़ितों के परिवारों के साथ देश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “यह हमला भारत की आत्मा पर हमला है। आतंकियों को ऐसी सज़ा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की होगी।” देश भर से पीड़ित परिवारों के लिए समर्थन और संवेदना के संदेश आ रहे हैं।
यह हमला सिर्फ निर्दोष पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की एकता और शांति पर हमला था। राष्ट्रपति मुर्मू को इस गंभीर स्थिति की पूरी जानकारी देना यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर कायम है। जल्द ही दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।