प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana), जिसे 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था, आज छोटे और मझोले व्यापारियों की रीढ़ बन चुकी है। इसका मुख्य उद्देश्य बिना किसी गारंटी के छोटे उद्यमियों को संस्थागत बैंकिंग सिस्टम से जोड़ते हुए उन्हें आसान ऋण सुविधा उपलब्ध कराना है।
2024-25 के आंकड़ों के अनुसार, मुद्रा योजना के तहत ‘शिशु’ और ‘तरुण’ श्रेणियों में लोन की औसत राशि में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि ‘किशोर’ श्रेणी में गिरावट दर्ज की गई है।
शिशु लोन (₹50,000 तक) का औसत अब ₹37,403 पहुंच गया है, जो कि 2015-16 में ₹19,411 था।
तरुण लोन (₹5 लाख से ₹10 लाख तक) का औसत ₹8,46,313 रहा, जबकि पहले ₹7,67,555 था।
वहीं किशोर लोन (₹50,000 से ₹5 लाख तक) की औसत राशि ₹2,08,037 से घटकर अब ₹1,20,111 रह गई है।
यह आंकड़े बताते हैं कि बहुत छोटे और बड़े उद्यमियों को लाभ ज्यादा मिल रहा है, जबकि मझोले स्तर के कारोबारियों को अपेक्षित सहायता नहीं मिल पा रही है।
बिहार बना टॉप राज्य
इस योजना के तहत बिहार देश का नंबर-1 राज्य बनकर उभरा है। यहां अब तक 5.95 करोड़ से ज़्यादा लोन अकाउंट्स को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
इसके बाद तमिलनाडु (5.82 करोड़), उत्तर प्रदेश (5.16 करोड़), पश्चिम बंगाल (5.15 करोड़) और कर्नाटक (4.98 करोड़) का स्थान आता है।
क्यों है यह योजना खास?
- गारंटी फ्री लोन: छोटे व्यापारियों को बिना गारंटी लोन की सुविधा
- महिलाओं और युवाओं को बढ़ावा: लाखों महिलाओं और युवाओं ने इस योजना से छोटे स्तर पर व्यवसाय शुरू किया
- रोज़गार सृजन में योगदान: स्वरोज़गार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने देशभर में लाखों छोटे कारोबारियों की आर्थिक रीढ़ मज़बूत की है। हालांकि ‘किशोर’ श्रेणी में आई गिरावट पर सरकार को ध्यान देना होगा, ताकि मिड-स्केल बिजनेस भी मजबूती से खड़े हो सकें।
जैसे-जैसे यह योजना आगे बढ़ रही है, उम्मीद की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका लाभ पहुंचे और भारत की जमीनी अर्थव्यवस्था और भी मजबूत हो।