भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने Economic Capital Framework (ECF) यानी आर्थिक पूंजी ढांचे में बड़ा संशोधन किया है। यह बदलाव न केवल केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिरता को मजबूत करेगा, बल्कि सरकार को मिलने वाले अधिशेष (Surplus) को भी प्रभावित करेगा। आइए जानते हैं इस नए बदलाव से जुड़ी पूरी जानकारी।
क्या है RBI का Economic Capital Framework (ECF)?
Economic Capital Framework वह नीति है, जिसके जरिए RBI यह तय करता है कि वह कितनी पूंजी अपने पास जोखिमों (जैसे बाजार जोखिम, मुद्रा उतार-चढ़ाव) से निपटने के लिए रखेगा और सरकार को कितना अधिशेष (surplus) स्थानांतरित करेगा।
यह ढांचा 2019 में बिमल जालान समिति (Bimal Jalan Committee) की सिफारिशों के बाद लागू किया गया था। अब 5 साल बाद इसका रिव्यू कर इसमें अहम बदलाव किए गए हैं।
RBI Economic Capital Framework में क्या बदलाव हुए हैं?
1. CRB की सीमा बढ़ी (Contingent Risk Buffer Range Updated)
पहले CRB (जो कि रिज़र्व फंड है) की सीमा 5.5% से 6.5% थी। अब इसे बढ़ाकर 4.5% से 7.5% कर दिया गया है। इसका मतलब है कि RBI ज़रूरत पड़ने पर ज्यादा पूंजी रोक सकता है और जब स्थिति ठीक हो, तो सरकार को ज्यादा surplus दे सकता है।
2. Surplus Transfer Policy में बदलाव
अगर RBI के पास कुल पूंजी उसकी जरूरत से ज्यादा (7.5% से ऊपर) हो, तो उसे ‘Contingency Fund’ से निकालकर आय (income) माना जा सकता है। इससे सरकार को मिलने वाला लाभांश बढ़ सकता है।
3. Risk Assessment Process में कोई बदलाव नहीं
हालांकि ढांचे में लचीलापन लाया गया है, लेकिन जोखिम मूल्यांकन की मौजूदा प्रक्रिया को बरकरार रखा गया है ताकि RBI की विश्वसनीयता और स्थिरता बनी रहे।
सरकार को मिलेगा Record Surplus: कितना होगा लाभ?
इस संशोधित ढांचे के तहत RBI ने केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड अधिशेष (dividend) देने का ऐलान किया है। यह बजट अनुमान ₹2.56 लाख करोड़ से अधिक है। यह भारत की GDP का लगभग 0.2% अतिरिक्त राजकोषीय स्थान प्रदान करेगा।
बदलावों का असर (Impact of the New Economic Capital Framework)
- सरकार के लिए अधिक फंडिंग
अब सरकार को हर साल अनुमानित रूप से पता चल सकेगा कि आरबीआई से कितना surplus मिलेगा। इससे बजट योजना बनाना आसान होगा। - RBI की फाइनेंशियल स्ट्रेंथ बढ़ेगी
बढ़ी हुई CRB सीमा को आर्थिक संकट या वैश्विक मंदी जैसे जोखिमों से निपटने में मदद मिलेगी। - बाजार में स्थिरता
यह कदम निवेशकों को RBI की दीर्घकालिक रणनीति में भरोसा देगा, जिससे भारतीय बाजारों को स्थिरता मिलेगी।
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