भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते पर अब असर दिखने लगा है। पहले जहां पाकिस्तान को सूखे का सामना करना पड़ा, अब वहां बाढ़ जैसी हालात बन रहे हैं। इस अचानक बदलते मौसम और जल संकट के पीछे क्या भारत की कोई बड़ी रणनीति है?
पिछले कुछ महीनों में भारत ने सिंधु नदी के पानी के बहाव को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जानकारों का मानना है कि भारत अब समझौते की हर एक शर्त को सख्ती से लागू कर रहा है, ताकि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके। पहले पानी की कमी ने पाकिस्तान की खेती और पीने के पानी पर असर डाला। अब ज्यादा पानी छोड़ने से वहां बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।
आम जनता में बढ़ी बेचैनी
पाकिस्तान के गांवों और शहरों में पानी को लेकर अफरा-तफरी मची है। एक तरफ खेत सूखे से झुलस गए थे, अब वहीं पानी में डूब रहे हैं। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर यह सब अचानक कैसे हो रहा है? सरकारें भी इस संकट से निपटने के लिए तैयार नहीं दिख रही हैं।
भारत का ‘सॉफ्ट पावर’ गेम?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने यह जल नीति सोच-समझकर अपनाई है। युद्ध के बिना ही पाकिस्तान को पानी के जरिए मुश्किल में डालना एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। वैसे भी, पानी को ‘नीला सोना’ कहा जाता है और इसकी अहमियत आने वाले समय में और बढ़ने वाली है।
क्या आगे और बढ़ेगा दबाव?
अगर भारत सिंधु जल समझौते में और सख्ती दिखाता है, तो पाकिस्तान को और बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में भारत किस तरह कदम बढ़ाता है, उस पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।