सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में अचानक आई भारी गिरावट ने निवेशकों को झकझोर कर रख दिया। बाजार खुलते ही सिर्फ 10 मिनट में निवेशकों की संपत्ति में करीब ₹18 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। ये गिरावट इतनी तेज थी कि कई निवेशक बाजार को समझने से पहले ही भारी नुकसान झेल गए।
कैसे हुआ इतना बड़ा नुकसान?
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) शुक्रवार को ₹4,04 लाख करोड़ था, जो सोमवार को सिर्फ 10 मिनट के भीतर घटकर ₹3,86 लाख करोड़ पर पहुंच गया। यानी कुल ₹18,07,639 करोड़ की संपत्ति महज कुछ मिनटों में वाष्पित हो गई।
इस गिरावट की वजहें वैश्विक स्तर पर फैली चिंता से जुड़ी हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा घोषित नए और सख्त टैरिफ, दुनिया भर के निवेशकों के लिए झटका साबित हुए। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने पहले ही महंगाई और विकास दर को लेकर चिंता जताई थी, और अब इन टैरिफ्स ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है।
सेक्टर्स पर असर: आईटी, मेटल और मिडकैप्स सबसे ज्यादा गिरे
इस गिरावट का असर हर सेक्टर पर दिखाई दिया। बीएसई के सभी 13 प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में रहे। सबसे ज्यादा गिरावट मेटल और आईटी सेक्टर में दर्ज की गई:
- आईटी सेक्टर: 5.3% तक गिरा, क्योंकि इन कंपनियों की बड़ी आमदनी अमेरिका से आती है।
- मेटल इंडेक्स: 7% की भारी गिरावट।
- मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में क्रमशः 5.5% और 4.6% की गिरावट, जिससे साफ है कि केवल बड़े निवेशक ही नहीं, छोटे निवेशक भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है। बार्कलेज ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ में 0.30% की कटौती का अनुमान लगाया है, वहीं गोल्डमैन सैक्स ने अगले कुछ वर्षों में कॉर्पोरेट आय में 2-3% की गिरावट की आशंका जताई है।
वैश्विक बाजारों की स्थिति भी चिंताजनक
यह सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। जापान का Nikkei 225 इंडेक्स भी 6.5% तक गिरा है, जिससे साफ है कि वैश्विक बाजारों में भी डर का माहौल है। निवेशक फिलहाल जोखिम से दूर रहना चाहते हैं और इसलिए बिकवाली का सिलसिला जारी है।
निष्कर्ष: क्या निवेशकों को घबराना चाहिए?
अभी बाजार में अस्थिरता का दौर है और ऐसे में घबराकर कोई भी बड़ा निर्णय लेना नुकसानदेह हो सकता है। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि निवेशक फिलहाल धैर्य रखें, पोर्टफोलियो को दोबारा परखें और लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण अपनाएं।