देश हरपल न्यूज़ डेस्क
तारीख: 11 अप्रैल 2025
मुंबई आतंकी हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा आखिरकार भारत की गिरफ्त में है। अमेरिका से कानूनी औपचारिकताओं के बाद भारत लाया गया राणा फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में है। लेकिन उसे तिहाड़ जेल में नहीं रखा गया है। सवाल उठता है – आखिर Tahawwur Rana को कहां रखा गया है? कैसी है सुरक्षा? और NIA उससे कौन-कौन से राज उगलवाने की तैयारी में है?
कहां रखा गया है तहव्वुर राणा?
सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल के बजाय NIA के सेंट्रल जोधपुर ऑफिस (CJO Complex) में रखा गया है, जो एक हाई-सिक्योरिटी फैसिलिटी है। यहां सिर्फ बेहद संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल मामलों से जुड़े आरोपियों को ही रखा जाता है।
NIA ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि राणा से बिना किसी रुकावट के पूछताछ की जा सके और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बता दें कि तिहाड़ जेल में पहले भी कई आतंकियों पर हमले हो चुके हैं, इसलिए NIA कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
कैसी है सुरक्षा व्यवस्था?
CJO कॉम्प्लेक्स में राणा को 24×7 Z+ श्रेणी की सुरक्षा में रखा गया है। उसके आसपास सशस्त्र कमांडो तैनात हैं और हर मूवमेंट पर CCTV से निगरानी रखी जा रही है। उसे एक अलग हाई-सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है, जहां किसी बाहरी व्यक्ति को मिलने की अनुमति नहीं है।
NIA की 18 दिनों की कस्टडी में क्या होगा?
एनआईए को अदालत ने तहव्वुर राणा की 18 दिनों की रिमांड दी है। इस दौरान जांच एजेंसी का मकसद है:
- 26/11 मुंबई हमलों की साजिश से जुड़े हर शख्स की जानकारी निकालना।
- लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क, पाकिस्तान की ISI से संबंध और भारत में मौजूद स्लीपर सेल्स का पर्दाफाश करना।
- डेविड कोलमैन हेडली से उसके रिश्ते, उसकी यात्राओं और फंडिंग के सोर्स की पड़ताल।
- भारत में किन-किन शहरों में वह आया और किन लोगों से संपर्क में रहा, उसकी मैपिंग करना।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो अमेरिका में मेडिकल क्लिनिक चलाता था। वह 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का करीबी दोस्त और साथी था। हेडली ने भारत में रेकी करने और आतंकियों की मदद करने में राणा की भूमिका को स्वीकारा था।
अमेरिका से भारत कैसे लाया गया?
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में भारत को लंबा इंतजार करना पड़ा। अमेरिका की अदालत ने तमाम दलीलों के बाद आखिरकार उसके भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दी। इसके बाद NIA की एक विशेष टीम अमेरिका गई, जहां उसने अमेरिकी अधिकारियों के साथ सारे कागजात और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कीं। इसके बाद उसे फ्लाइट से भारत लाया गया।
निष्कर्ष
तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और भारत लाया जाना देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी कामयाबी है। अब सबकी निगाहें NIA की पूछताछ पर हैं, जिससे आने वाले दिनों में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। यह केस न सिर्फ 26/11 के घावों को भरने की दिशा में एक कदम है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की अंतरराष्ट्रीय लड़ाई में भी अहम मोड़ साबित हो सकता है।
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